शादी का तोहफा
जिस तरह शादी मे बहुत से तोहफे
मिलते है कुछ उसी तरह का है 498A
IPC!
यह एक पूरे package के साथ मिलता है जिसमे Domestic
Violence और CRPC125 भी आते है
सभी केस एक साथ पूरे परिवार पर किया
जाता है!
शुरु मे 498A IPC से गिरफ्तरी का भय बनाया जाता है क्युकि यह Non bailable है और जमानत केवल न्यायलय से ही हो सकती है! यहा से शुरु होता है
इस कानून का खेल! समझोते के लिये भारी रकम मांगी जाती है वरना जेल का बद्नामी का भय
दिखाया जाता है! समाज पुलिस न्यायलय आदि सब महिला का ही पक्श लेते है तो आदमी का साहस
टूट्ने लगता है!
कुछ लोग यह सब सह नही पाते
और आत्म्हत्या तक कर लेते है जिनकि सख्या 64 हज़ार प्रति वर्श है! जो बच जाते है वो जेल जाते
है क्युकि अधिक्तर लोगो को पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है! अगर
वहा बच जाये तो भी जमानत लेने के समय 1-2 दिन को तो जाना ही होता है!
फिर जब बाहर आते है तो अगला
कार्यक्रम शुरु होता है जिसमे Domestic
Violence और CRPC125 आते है! नौकरी खो चुके उस पुरुश से अब गुजारा भत्ते के रुप मे पैसा
लिया जाता है! अधिक्तर जेल जाने की वजह से नौकरी खो चुके होते है! बेचारा बिना नौकरी
के तो कैसे कैसे यहा तक पहुचा होता है,
बेल कराने, पुलिस
की व वकीलो की सेवा करके अब तक लुट चुके पुरुश से अब न्यायलय गुजारा भत्ते देने अथवा
फिर जेल जाने का प्रस्ताव रखती है!
Domestic
Violence और CRPC125 दोनो ही बडे अजीब कानून है prima facia और assumption पे महिला की बातो को सच मानते हुये खर्चा निर्धरित कर दिया जाता
है! कई मुकद्मो मे तो कामकाजी महिला अपने बेरोजगार हो चुके पति से खर्चा लेती है क्युकि
ये उसका अधिकार होता है! पति बेचारा कही का नही रहता! तलाक ले नही सकता उसमे Sec24 HMA लगा के पैसे की मांग आ जाती है!
बेसहारा पति बस इसी तरह लडता
रहता है सहता रहता कोई सुनने वाला नही होता क्युकि नारि तो अबला होती है वो कभी झूट
नही बोलती! पुरुश अपने पुरुश होने पे रोता रहता है! न्यायलय जाता रहता है फरियाद करता
रहता है पर कोई सुनने वाला नही होता क्युकि पुरुश तो criminal होता है!
यही कहानी है 412438 पुरोशो की जिनके केस NCRB के अनुसार लम्बित पडे हुये है! कभी सोचिये उनके परिवार
के बारे मे कित्नी यात्नये झेल्ते होंगे! पल पल मरते होन्गे कि अचछा मिला शादी का तोहफा शादी ना हो गयी कोइ जुर्म कर दिया! इन
आंक्डो पे नज़र डालिये और एह्सास किजिये कि और कितने घर बर्बाद करेगा ये कानून!
Year
|
Cases
|
Arrests
|
Conviction
(at lower court)
|
Suicides by husband
|
2009
|
89546
|
174395
|
19.9%
|
58192
|
2010
|
94041
|
180413
|
20.6%
|
61453
|
2011
|
99135
|
180701
|
20.6%
|
64323
|
2012
|
106527
|
197762
|
14.4%
|
65979
|
2013
|
118866
|
222091
|
15.6%
|
68756
|
Source: NCRB data 2013
Cases Filed under 498A and disposed of by Courts
|
|||||||
Year
|
Total Cases pending trail up to that year
|
Convicted
|
Acquitted
|
Withdrawn
|
Total cases remaining at the end of year
|
Conviction Rate of Cases under 498A
|
Average Conviction Rate of all IPC crimes
|
2007
|
267600
|
6831
|
25791
|
6364
|
228614
|
21.2%
|
42.30%
|
2008
|
293416
|
7710
|
26637
|
7310
|
251759
|
22.7%
|
42.60%
|
2009
|
323355
|
7380
|
29943
|
7111
|
278921
|
19.9%
|
41.70%
|
2010
|
357343
|
7764
|
32987
|
6601
|
309991
|
19.6%
|
40.70%
|
2011
|
387690
|
8167
|
32171
|
7477
|
339902
|
20.6%
|
41.10%
|
2012
|
426922
|
6916
|
39138
|
8775
|
372706
|
14.4%
|
38.50%
|
2013
|
466079
|
7258
|
38165
|
8218
|
412438
|
15.6%
|
40.20%
|
(Views are personal)
Biased Laws are Ant-Men in India which need to be curbed
ReplyDeleteDELHI MEN CELL